गतिविधियाँ
केरल हिंदी साहित्य मंडल भारत की राष्ट्रीय एवं भावात्मक एकता के लिए समर्पित स्वयंसेवी संस्था है ।
साहित्य मंडल के कार्यकलापों के आयोजन एवं प्रबंधन के सुचारू संचालन के लिए संस्था के तीन विभाग कायम किये गये - साहित्य विभाग, पत्रिका विभाग और प्रकाशन विभाग।
साहित्य विभाग
केरल के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्रों तथा शोधार्थियों को हिंदी साहित्य के अध्ययन – आस्वादन की नई दृष्टि देना ही मण्डल के साहित्य विभाग का उद्देश्य रहा। इसके लिए केरल के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के हिंदी विभागों में मण्डल ने संगोष्ठियों का आयोजन किया । कई अनुवाद शिबिर और नवलेखन शिबिर चलाये। इनसे छात्रों में हिंदी के अधुनातन साहित्य के प्रति उत्सुकता बढ़ी । उन्हें साहित्य सृजन की प्रेरणा मिली ।
पत्रिका विभाग
पत्रिका विभाग ने सन् 1973 में साहित्य मण्डल पत्रिका का प्रथम अंक निकाला । इसका लोकार्पण हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार और संचेतना पत्रिका के संपादक डॉ.महीप सिंह ने किया । पत्रिका का अखिल भारतीय स्तर पर विशिष्ट पाठकवर्ग रहा। पत्रिका समस्त भारत के हिंदी प्रेमियों और लेखकों के वैचारिक आदान – प्रदान एवं पारस्परिक मिलन का मंच रहा । हिंदी के प्रतिष्ठित लेखकों का सहयोग हमेशा पत्रिका को मिलता रहा । डॉ.एन.ई.विश्वनाथ अय्यर पत्रिका के प्रथम संपादक रहे । अय्यर जी के बाद हिंदी के विद्वान् श्री के. जे जोण ने संपादन भार संभाला । बाद में मातृभूमि प्रकाशन समूह से प्रकाशित प्रसिद्ध हिंदी पाक्षिक युगप्रभात के यशस्वी संपादक श्री . रविवर्मा ने पत्रिका का संपादक पद अलंकृत किया । उनके संपादकत्व में साहित्य मण्डल पत्रिका ने राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक कीर्ति पायी। सन् 1973 सितंबर से लेकर सन् 1998 सितंबर तक लगातार 25 वर्षों तक प्रकाशित होती रही । सन् 1998 सितंबर में पत्रिका बंद-सी हुई। फिर भी 2008 में पत्रिका को पुर्जीवित करने का प्रयास हुआ । 2012 तक पत्रिका के कुछ विशिष्ट अंक प्रकाशित हुए । डॉ.के.जी. प्रभाकरन मुख्य संपादक रहे । साहित्य मण्डल पत्रिका के प्रकाशन के आरंभ से लेकर प्रोफ. ऋषिकेशन तम्पी इसके प्रकाशक रहे और डॉ.टी.एन. विश्वम्भरन, श्री.पी.के.पी कर्ता और प्रोफ. ईच्चर वारियर प्रबंध संपादक रहे ।
उगादि विशेषांक, डॉ.विश्वनाथ अय्यर अभिनन्दन अंक, अमृता प्रीतम विशेषांक, एस. के पोट्टेक्काट विशेषांक, तकषि शिवशंकर पिल्लै विशेषांक, एम.टी. वासुदेवन नायर विशेषांक, अज्ञेय विशेषांक, ओ.एन.वी. विशेषांक, समकालीन कविता विशेषांक, समकालीन कहानी विशेषांक आदि साहित्य मण्डल पत्रिका के बहुचर्चित अंक हैं। मण्डल पत्रिका का आगामी अंक मलयालम की विख्यात कवयित्री, पर्यावरण प्रेमी, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा और ह्यूमन राईट्स एक्टिविस्ट सुश्री सुगताकुमारी पर केन्दित है ।
प्रकाशन विभाग
मण्डल के प्रकाशन विभाग का श्रीगणेश सन् 1971 में डॉ.गोविन्द शेनाय के कहानी – संकलन आगे कौन हवाल ? से हुआ । इस कृति का लोकार्पण आचार्य डॉ. नगेन्द्र के कर कमलों से कोच्चिन में हुआ । अब तक मंडल ने कुल तीस पुस्तकों का प्रकाशन किया है। मलयालम के महान कवि कुमारन आशान के जन्मशती – वर्ष में प्रकाशित महाकवि कुमारन आशान शीर्षक हिंदी पुस्तक का लोकार्पण दिल्ली के एमपी’स क्लब में हुआ। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ.जार्ज जेकब ने साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. प्रभाकर माचवे को पुस्तक की प्रथम प्रति भेंट करते हुए पुस्तक का लोकार्पण किया था। ज्ञानपीठ विजेता एस. के पोट्टेक्काट और उनकी श्रेष्ठ कहानियाँ पुस्तक का लोकार्पण 23 नवम्बर 1981को दिल्ली के विज्ञान भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने किया था ।1984 के ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता तकषि शिवशंकर पिल्लै पर इसी नाम से प्रकाशित ग्रन्थ का लोकार्पण विश्व उपन्यासकार एवं कवि मेक्सिको के ओक्टावियो पाज़ ने किया था ।